ग़म की फितरत मुझे सताने की
मेरी भी जिद उसे हराने की
छुपा न पाओगे आँखों की नमी
छोड़ो कोशिश ये मुस्कुराने की
दिल तुम्हारा है सच्चे मोती सा
क्या ज़रूरत तुम्हे खजाने की
टूट कर चाहना फिर मर जाना
यही तकदीर है परवाने की
सीने की कब्र में मुर्दा दिल है
न करो जिद मुझे जिलाने की
खेत छूटे, न रोज़गार मिला
ये सजा है शहर में आने की
मुफलिसी में तुझे पुकारा है
ठानी है तुझको आजमाने की
Monday, April 28, 2008
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4 comments:
बहुत अच्छे
good
koshishein jaari rakhein ..........aap jis vibhag mein hain wahan se sahitye ke liye waqt nikalna hi bahut badda kaam hai .....beherhal lekhan ke liye badhai..,.
kavideepakgupta.com
9811153282 - delhi NCR
सीने की कब्र में मुर्दा दिल है
न करो जिद मुझे जिलाने की
shandar bahot achhi rachana hai....
regards
Arsh
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