याद उसकी आई फिर बरसों के बाद
हमने फिर छल्काया जाम बरसों के बाद
आँगन में खेलते हैं मेरे बच्चों के बच्चे
लौटा है बचपन मेरा बरसों के बाद
सौ बार पढ़ चूका हूँ सुबह से शाम तक
आया है मेरे नाम ख़त बरसों के बाद
ग़म का मारा था,कजां को देखकर
मुस्कुराया आज वो बरसों के बाद
मुफलिसी के दिन गए,ओहदा मिला
पहचाना उसने मुझे बरसों के बाद
Wednesday, May 14, 2008
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4 comments:
सौ बार पढ़ चूका हूँ सुबह से शाम तक
आया है मेरे नाम ख़त बरसों के बाद।
उपरोक्त शेर मन को छू गया। मेरी शुभकामनाएं स्वीकारें।
ग़म का मारा था,कजां को देखकर
मुस्कुराया आज वो बरसों के बाद
kya bat hai..ye sher achha laga.
wah...kya khood khayal pe ghazal hain...
सौ बार पढ़ चूका हूँ सुबह से शाम तक
आया है मेरे नाम ख़त बरसों के बाद।
ye to lajawab....
vha ji javab hi nahi aapki rachana ka to. bhut achhe.
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