भूलें दोहराता हूँ अक्सर
मैं ख्वाब सजाता हूँ अक्सर
क्यों तेरी गलियों में जाकर
खुद को बहलाता हूँ अक्सर
जब जब ईमान बुलाता है
मैं चुप हो जाता हूँ अक्सर
सीने के ज़ख्म नहीं भरते
मैं ठोकर खाता हूँ अक्सर
झूठ कहाँ कह पाता हूं
मैं पीकर गाता हूं अक्सर
तेरे सपनों में आ आकर
मैं तुझे रुलाता हूं अक्सर
अपने सीने से लौ देकर
सूरज सुलगाता हूं अक्सर
एक रोज़ बुना था एक रिश्ता
उसको उलझाता हूं अक्सर
बर्तन घर के न बिक जाएं
मैं खुद बिक जाता हूं अक्सर
Monday, April 28, 2008
ग़म की फितरत मुझे सताने की
मेरी भी जिद उसे हराने की
छुपा न पाओगे आँखों की नमी
छोड़ो कोशिश ये मुस्कुराने की
दिल तुम्हारा है सच्चे मोती सा
क्या ज़रूरत तुम्हे खजाने की
टूट कर चाहना फिर मर जाना
यही तकदीर है परवाने की
सीने की कब्र में मुर्दा दिल है
न करो जिद मुझे जिलाने की
खेत छूटे, न रोज़गार मिला
ये सजा है शहर में आने की
मुफलिसी में तुझे पुकारा है
ठानी है तुझको आजमाने की
मेरी भी जिद उसे हराने की
छुपा न पाओगे आँखों की नमी
छोड़ो कोशिश ये मुस्कुराने की
दिल तुम्हारा है सच्चे मोती सा
क्या ज़रूरत तुम्हे खजाने की
टूट कर चाहना फिर मर जाना
यही तकदीर है परवाने की
सीने की कब्र में मुर्दा दिल है
न करो जिद मुझे जिलाने की
खेत छूटे, न रोज़गार मिला
ये सजा है शहर में आने की
मुफलिसी में तुझे पुकारा है
ठानी है तुझको आजमाने की
Saturday, April 26, 2008
पूनम की रात आँगन में आया न करो
चांदनी को इस तरह लजाया न करो
मुझ जैसे लोग हो न जाये बदगुमा कही
बेवजह ही तुम यूं मुस्कुराया न करो
जो खुद ही बिखरा है,किसी को क्या देगा
टूटते तारे को यूं आजमाया न करो
माना कि तेरे दर्द ने कुछ शेर दे दिए
पर बहुत हुआ अब और सताया न करो
खता पे मेरी मुझसे नाराज़ भी नहीं
अपने दीवाने को यूं पराया न करो
मैं संग हो गया तो कौन पूछेगा तुझे
ऐ खुदा मुझको इतना रुलाया न करो
टूटेंगी तो सीधे आँखों में चुभेंगी
ख्वाहिशों को सर पे चढाया न करो
चांदनी को इस तरह लजाया न करो
मुझ जैसे लोग हो न जाये बदगुमा कही
बेवजह ही तुम यूं मुस्कुराया न करो
जो खुद ही बिखरा है,किसी को क्या देगा
टूटते तारे को यूं आजमाया न करो
माना कि तेरे दर्द ने कुछ शेर दे दिए
पर बहुत हुआ अब और सताया न करो
खता पे मेरी मुझसे नाराज़ भी नहीं
अपने दीवाने को यूं पराया न करो
मैं संग हो गया तो कौन पूछेगा तुझे
ऐ खुदा मुझको इतना रुलाया न करो
टूटेंगी तो सीधे आँखों में चुभेंगी
ख्वाहिशों को सर पे चढाया न करो
जाने क्या थी वो मंजिल जिसके लिए
उम्र भर मैं सफर तय करता रहा
जागा सुबह भीगी पलकें लिए
रात भर मेरा मांजी बरसता रहा
खता तो अभी तक बताई नहीं
सजा जिसकी हर पल भुगतता रहा
कमी ढूंढ पाया न खुद में कभी
बस हर दिन आइना बदलता रहा
कसम दी थी उसने न लब खोलने की
दबा दर्द दिल में सुलगता रहा
खामोशी से कल फिर हुई गुफ्तगू
वो कहती रही और मैं सुनता रहा
बेईमान तरक्की किये बेहिसाब
मैं ईमान लेकर भटकता रहा
सितारे के जैसी थी किस्मत मेरी
मैं टूटता रहा, जहान परखता रहा
खिलौना न मिल पाया शायद उसे
खुदा का दिल मुझसे बहलता रहा
न पाया कोई फूल सूखा हुआ
सफ्हे वक़्त के मैं पलटता रहा
उम्र भर मैं सफर तय करता रहा
जागा सुबह भीगी पलकें लिए
रात भर मेरा मांजी बरसता रहा
खता तो अभी तक बताई नहीं
सजा जिसकी हर पल भुगतता रहा
कमी ढूंढ पाया न खुद में कभी
बस हर दिन आइना बदलता रहा
कसम दी थी उसने न लब खोलने की
दबा दर्द दिल में सुलगता रहा
खामोशी से कल फिर हुई गुफ्तगू
वो कहती रही और मैं सुनता रहा
बेईमान तरक्की किये बेहिसाब
मैं ईमान लेकर भटकता रहा
सितारे के जैसी थी किस्मत मेरी
मैं टूटता रहा, जहान परखता रहा
खिलौना न मिल पाया शायद उसे
खुदा का दिल मुझसे बहलता रहा
न पाया कोई फूल सूखा हुआ
सफ्हे वक़्त के मैं पलटता रहा
सच्चाई और ईमान को परखने लगा है
लगता है खुदा पीकर बहकने लगा है
कल तौबा करके आया था खुदा के सामने
आज मयकदे को देखकर मचलने लगा है
सह न सका हो गयी जब ग़म की इंतिहा
बरसों का रुका बादल बरसने लगा है
ताउम्र भागता रहा लोगों की भीड़ से
अब कब्र में दुश्मन को भी तरसने लगा है
टूटा जो इश्क में तो साकी ने दी पनाह
मयखाने में जाकर वो अब संभलने लगा है
इस कदर तन्हाई से घबराया हुआ है
हर कमरे में आइना वो रखने लगा है
क्या खता हुई जो गुनाहगार बन गया
किताबे माजी के सफ़े पलटने लगा है
हमदर्द बनके आया था वो कत्ल कर गया
अब दोस्तों के नाम से डर लगने लगा है
लगता है खुदा पीकर बहकने लगा है
कल तौबा करके आया था खुदा के सामने
आज मयकदे को देखकर मचलने लगा है
सह न सका हो गयी जब ग़म की इंतिहा
बरसों का रुका बादल बरसने लगा है
ताउम्र भागता रहा लोगों की भीड़ से
अब कब्र में दुश्मन को भी तरसने लगा है
टूटा जो इश्क में तो साकी ने दी पनाह
मयखाने में जाकर वो अब संभलने लगा है
इस कदर तन्हाई से घबराया हुआ है
हर कमरे में आइना वो रखने लगा है
क्या खता हुई जो गुनाहगार बन गया
किताबे माजी के सफ़े पलटने लगा है
हमदर्द बनके आया था वो कत्ल कर गया
अब दोस्तों के नाम से डर लगने लगा है
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